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ऊमर कैसे खाते है ।

ऊमर का पेड बहुत बडा होता है जिसे गूलर के नाम से जानते है। इसके फल गोल लट्टू के जैसे होते है पक जाने पर यह लाल हो जाते है । मन खाने के लिऐ लालायत हो उठता है परंतु इन्हें हर कोई नही खा सकता है । आप सोचते होगें कि यह कडबे होते होंगे पर नही रसगुल्ले जैसे मीठे होते है लेकिन हर कोई नही खा सकता ये तो गडबड बात है कि इतने सुंदर मीठे फल हर कोई नहीं खापाएगा। यह बडे विचार करने की बात है कि मिष्ठान त्यागने योग्य होते है नहीं। क्या अच्छी चीज खाई नही जाती है मगर हैरानी तो यहां पर है कि ऑख मीचकर कुछ नही खा सकते है । आयुर्वेद एवं तंत्र यंत्र मै इसका भारी महत्व माना जाता है अगर आप उन लोगों कि कैटेगिरी मैं आते है जो हर काम ऑख मीचकर कर बैठते है तोआप (ऊमर)गूलर को खा सकते है यदि ना तो नही सवाल वार वार आता कि ऐसा क्यों , औषधिऐ गुणो से युक्त पर खास लोग नही आम ही यूज कर सकते है । नोट-मै खास कि उपमा उन लोगो को दे रहा हूं जो सात्विक भोजन करते है । इस पेड के फल हमे अच्छाई मै भी खटास होने की प्रेरणा देते है । क्योकि अच्छाई भी खतरनाक साबित होती है जैसे मगर और बंदर के बीच हुई थी चलिऐ जानते है इसका रहस्य क्या है ।। इसके फल पकने पर अति सुंदर लगते है और मीठे भी लेकिन जैसे ही ऐ पकते हैं तो फलों केेअंदर मच्छर जैसे कीडे भारी मात्रा में भरे रहते है अगर आपने फोडकर खाना चाहा तो नहीं खा सकते। इसे खाने वाले सदैव सीधे ही खाते है अगर छेडछाड की तो ठीक कहावत के अनुसार ही होगा। ना ऊमर (गूलर)फोडो ना पंखे उडाओ मतलव गुप्त कार्य अथवा सबके साथ साझा न कि जाने वाली जानकारी को गूलर के फल जैसा उपयोग करना चाहिऐ। आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमें जरूर वताऐ। धन्यवाद् जय माता दी, 

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