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बवासीर का रामबाण इलाज-bavaseer ka ramaban ilaj


बवासीर का रामबाण इलाज-bavaseer ka ramaban ilaj
बवासीर का रामबाण इलाज-bavaseer ka ramaban ilaj Hello friends आप कैसे हैं मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी अच्छे होंगे। आज मैं आप लोगों को बवासीर piles  का रामबाण इलाज कैसे किया जाता है। वह भी गारंटी के साथ, इस बारे में बताने वाला हूं।
अगर आप इस रोग से पीड़ित हैं और बिना खर्च किसी ऑपरेशन के सदा के लिए इससे निजात पाना चाहते हैं। तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए article को अंत तक पढ़ें।Click hear

 बवासीर का मुख्य कारण भोजन

आजकल के खानपान से बीमारियों को काफी हद तक बढ़ावा मिल रहा है।
शौकीन भोजन के एवज में हम अपना संतुलन खो बैठते हैं। जिससे हमारी तासीर और life में काफी प्रभाव पड़ता है।

गरिष्ठ भोजन जो अपाच्य होता है जिसके कारण एसिडिटी कब्ज बनती है। जिसके कारण मल कड़क हो जाता है। जिससे त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है।
जिससे मलद्वार छिल जाता है और इर्द गिर्द फोडे हो जाते है।
 बवासीर: मूलव्याधि क्या है?
बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को मल त्याग Excretion के समय जलन महसूस होती है। एवं उठते बैठते समय गुदा के आसपास खुजली होती है जो हमेशा बनी रहती है। मलद्वार में फोड़े होने के कारण रक्त रिसाव भी होता है।

बवासीर हो जाने पर क्या करें

  1. बवासीर हो जाने पर हमें फाइबर युक्त सब्जियां यूज़ करना चाहिए।

जैसे- पालक पपीता गाजर मूली बंदगोभी दालें बगैरह।
2. तीखे तले एवं चटपटे मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए, हमेशा हलका आहार ही लें।
3. साइकिल का कम उपयोग करें ताकि फोड़े मसल ना जाए। बैठने के लिए सदैव गद्देदार कुर्सी ही प्रयोग में लाएं।

बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज

अगर आप ज्यादा परेशान हैं तो यह घरेलू  उपचार आपको बहुत फायदा पहुंचाएगा।
सादे पान के पत्ते पर एक रत्ती चूना लगाकर खाली पेट खाने से बवासीर में काफी लाभ होता है।
पारिजात (सियांरू) हरसिंगार के बीजों को पान के साथ चबाकर खाने से बवासीर में लाभ होता है।

बवासीर का रामबाण इलाज-फुलकट


बवासीर का रामबाण इलाज-bavaseer ka ramaban ilaj

बवासीर का रामबाण इलाज फुलकट का पौधा है। जो कि गारंटी के साथ काम करता है इसमें किसी प्रकार की दो राय नहीं है।
यह छोटी-छोटी पहाड़ियों में छोटे-मोटे पेड तथा पत्थरों पर बेल की तरह छाया रहता है। यह पथरीली जगह चट्टानों पर ही होता है। यह बुंदेलखंड में अधिकतर हर जगह पाया जाता है।

इसका उपयोग पशुओं की आंखों में किसी प्रकार का इन्फेक्शन चोट अथवा सफेद हो जाने के कारण इसके पत्तों का रस लगाने से गारंटी के साथ सफेद आंख सही हो जाती है।

बवासीर में इसका प्रयोग सुबह खाने से पहले या खाने के एक डेढ़ घंटे बाद आठ-दस पत्ते  साफ पानी से धोकर चबाकर होने से कुछ ही दिनों में लाभ होने लगता है। कम से कम एक दो महीने लगातार खाने पर इस बीमारी से सदा के लिए छुटकारा मिल सकता है।
इसमें सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि इसके पत्तों को खाने के बाद में आप किसी भी प्रकार का खट्टा-मीठा या तीखा खाएं तो कोई भी स्वाद आपको नहीं आएगा सभी मिट्टी जैसा लगेगा।

नोट- इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि सभी लोगों को इसका फायदा मिल सके।

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